कार्बन का परिचय तथा गुणधर्म

कार्बन:

➡भू-पर्पटी में पायी जाने वाली मात्रा के अनुसार स्थान- 17 वॉ ।
➡  परमाणु क्रमांक- 6
➡ परमाणु द्रव्यमान -12
➡  ब्लॉक का नाम- p ब्लॉक
➡  वर्ग या समूह का नाम- 14 या IV A
➡ आवर्त का नाम - 2
➡  इलेक्ट्रॉनिक विन्यास- 1s² ,2s² ,2p²
➡ कार्बन के समस्थानिक - ₆C¹², ₆C¹³, ₆C¹⁴
➡ ₆C¹⁴ समस्थानिक रेडियो एक्टिव है तथा इसका अर्ध आयु काल
5770 वर्ष है।
➡ कार्बन तत्व के रूप में- कोयला, ग्रेफाइट, हीरा, फुलरीन।
➡  कार्बन योगिक के रूप में- धातू कार्बोनेट हाइड्रोकार्बन प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट कार्बन डाइऑक्साइड आदि।

 कार्बन के गुणधर्म :


1. चतु: संयोजकता का गुणधर्म - कार्बन +4 तथा -4 संयोजकता प्रदर्शित करता है। धनात्मक संयोजकता के कारण कार्बन अधातुओं से अभिक्रिया करता है तथा ऋणात्मक संयोजकता के कारण धातुओ से अभिक्रिया करता है।
2. श्रृंखलन का गुण - कार्बन परमाणु आपस में  सहसंयोजक बंध के द्वारा जुड़कर लंबी कार्बन श्रृंखला का निर्माण करते हैं। इस गुणधर्म को श्रृंखलन का गुण कहा जाता है
इन दोनों गुणधर्मों के कारण कार्बन के योगिक बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

कार्बन के अपररूप:


कार्बन विभिन्न रूपों में पाया जाता है इन विभिन्न रूपों को कार्बन के अपररूप कहते हैं।
कार्बन के अपररूप 2 प्रकार के होते हैं-
1.  क्रिस्टलीय अपररूप- हीरा, ग्रेफाइट, फुलरीन क्रिस्टलीय अपरूप है। 
2. अक्रिस्टलीय अपररूप- कोक,चारकोल, कोल, कार्बन ब्लैक यह अक्रिस्टलीय अपररूप है।

कुछ महत्वपूर्ण अपररूप:


1. हीरा : 

➡ एक कार्बन परमाणु अन्य चार कार्बन परमाणुओं से जुड़कर चतुष्फलकीय संरचना बनाते हैं।
➡ इनमे प्रबल सहसंयोजक बंध पाया जाता है इसलिए हीरा प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाला सबसे कठोर पदार्थ है।
➡ यह पारदर्शी तथा रंगहीन होता है।
➡ इसमें कोई भी मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं पाया जाता है इसलिए यह विद्युत का कुचालक होता है।
➡ इसका घनत्व 3.67 तथा अपवर्तनांक 2.44 होता है।
➡ हीरे में चमक पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण होती है।
➡ हीरे में उपस्थित अशुद्धियों के कारण यह विभिन्न रंग प्रदान करता है।
➡ प्रथम कृत्रिम हीरा मोयसन ने 1983 में बनाया था।

2. ग्रेफाइट :


➡ एक कार्बन परमाणु निकटवर्ती तीन कार्बन से जुड़कर षटकोणीय वलय बनाते हैं। यह परसों के रूप में पाया जाता है।
➡ कार्बन परमाणु का चौथा इलेक्ट्रॉन मुक्त अवस्था में पाया जाता है इसलिए ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है।
➡ इसे काला सीसा भी कहा जाता है।
➡ लेड पेंसिल का लेड ग्रेफाइट का बना होता है, उसमे लेड (Pb) की मात्रा शून्य होती है।
➡ ग्रेफाइट का उपयोग नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक के रूप में किया जाता है।
➡ इसका उपयोग शुष्क स्नेहक के रूप में किया जाता है।
➡ ऊष्मागतिकी रूप से कार्बन का सबसे स्थाई अपररूप ग्रेफाइट है।

3. फुलरीन :


➡ फुलरीन की संरचना पिंजरा नुमा होती है। यह फुटबॉल के समान दिखाई देती है। इसलिए इसे बकीवाल भी कहा जाता है।
➡ इसकी खोज बंक मिनिस्टर फुलरीन ने की थी।
➡ इसका उपयोग सुक्ष्म बॉल बियरिंग बनाने में होता है।
➡ फुलरीन कार्बन का सबसे शुद्ध अपररूप है।

4. कोल या कोयला :


➡ ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है अर्थात निश्चित समय के बाद यह स्रोत समाप्त हो जाएगा।
➡ कार्बन की प्रतिशत मात्रा के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है।
a) पीट: यह निम्न श्रेणी का कोयला होता है इस में कार्बन की मात्रा 50 से 60% होती है।
b) लिग्नाइट: इसे भूरा कोयला भी कहते हैं इस में कार्बन की मात्रा 60 से 70% होती है।
c) बिटुमनी: यह कोयले की सामान्य तथा मुलायम किस्म है। इसका उपयोग सामान्यतः घरों में किया जाता है। इस में कार्बन की मात्रा 78 से 86% होती है।
d) एंथ्रेसाइट: यह कोयले की सर्वोत्तम किस्म होती है इसमे कार्बन की मात्रा 94 से 98% होती है।

कार्बन के ऑक्साइड: 


कार्बन के मुख्य दो ऑक्साइड होते हैं। कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड।

1. कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO):

➡इसका निर्माण ऑक्सीजन या वायु की सीमित मात्रा में कार्बन के अपूर्ण दहन से होता है।
➡ यह रंगहीन , गन्धहीन तथा जल में अविलेय गैस होती है।
➡ वॉटर गैस = CO+H₂
➡प्रोड्यूसर गैस = CO+N₂
➡ यह विषैली गैस होती है क्योंकि यह हिमोग्लोबिन के साथ एक संकुल यौगिक का निर्माण करती है। जिससे रक्त की ऑक्सीजन वहन करने की क्षमता में कमी आ जाती है और इंसान की मृत्यु तक हो सकती है।
➡ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन गैस से अभिक्रिया करके विषैली गैस फास्जिन(COCl₂) का निर्माण होता है।
➡ मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं में मुख्य रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड होती है क्योंकि इसमें अपूर्ण दहन होता है।

2. कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)

➡ इसका निर्माण कार्बन के पूर्ण दहन से होता है।
➡ यह रंगहीन गन्धहीन तथा अम्लीय गैस होती है।
➡ वायुमंडल में इसकी मात्रा 0.03% होती है।
➡ यह विषैली गैस नहीं होती है लेकिन इसकी मात्रा में वृद्धि होने से लगातार पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। इसलिए इसे हरित गृह गैस कहते हैं।
➡ चूने के पानी में CO2 प्रवाहित कर आने पर चूने का पानी दूधिया हो जाता है क्योंकि उसमें कैल्शियम कार्बोनेट का निर्माण होता है।
➡ इसका उपयोग अग्निशामक यंत्रों में आग बुझाने के लिए किया जाता है। क्योंकि यह वायु से भारी होती है और अज्वलनशील होती है।
➡ पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में ऑक्सीजन गैस छोड़ते हैं तथा CO2 गैस ग्रहण करते हैं। लेकिन रात्रि के समय प्रकाश संश्लेषण की क्रिया रुक जाती है। जिसके कारण यह CO2 गैस छोड़ते हैं। अतः रात्रि में  पेड़ो के नीचे नहीं सोना चाहिए।

1 comment:

मैं योगेश प्रजापत आपका तह दिल से शुक्रगुजार हूं कि आपने अपने कीमती समय हमारी वेबसाइट के लिए दिया, कमेंट करके अवश्य बताए कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको केसी लगी...🙏🙏🙏