जीवों का पांच जगत वर्गीकरण

जीवों का  5 जगत वर्गीकरण:
व्हिटेकर(Whittaker) ने जीवो का 5 जगत में वर्गीकरण किया जो निम्न है-
1) मोनेरा जगत(Monera kingdom)
2)प्रोटिस्टा जगत(Protista Kingdom)
3) कवक जगत(Fungi kingdom)
4) पादप जगत(Planteae kingdom)
5) जन्तु जगत(Animal kingdom)

1) मोनेरा जगत (Monera kingdom) :

इसका वर्णन सबसे पहले अर्नेस्ट ने किया था। एककोशिकीय प्रोकेरियोटिक जीव इस वर्ग में आते है जैसे : जीवाणु , नील हरित शैवाल , माइकोप्लाज्मा , तंतुमय जीवाणु आदि।
➡ इनकी कोशिका में केन्द्रक कला तथा केन्द्रिका नही पाई जाती है।
➡इनमे जनन विभाजन/ विखण्डन द्वारा होता है।
➡ ये रासायनिक संश्लेषण के द्वारा पोषण करते है।

 जीवाणु (Bacteria): 
↪इसकी खोज एंटोनी वॉन लुवेनहाक ने की थी तथा जीवाणु नाम ऐहरेनबर्ग ने दिया था।
↪जिस शाखा के अंतर्गत जीवाणु का अध्ययन किया जाता है उसे  बेक्टिरियोलॉजी (Bacteriology) कहा जाता है।
↪ये एक कोशिकीय जीव होते है तथा सभी जगह पाए जाते है
↪ये सात प्रकार के आकार के पाए जाते है- कोकस, बेसिलस, स्पाईरिलम, विब्रियो, तंतुमय, कली जैसे, माईसीलियम।
↪इनकी कोशिका काइटिन की बनी होती है।
↪सामान्यतः जीवाणु विषमपोषी होते है लेकिन कुछ स्वंमपोषी होते है।
↪ये मिसोसोम्स द्वारा स्वसन करते है।
↪कुछ जीवाणुओ के कार्य:
▶नाइट्रिकरण - एजोटोबैक्टर, राइजोबियम 
▶भोजन विषाक्तता - क्लासट्रीडीयम      बॉटुलीनम
▶मृदा का विनाइट्रिकरण -  थायोबेसिलस       डीनाइट्रीफ़िकेन्श
▶ खाद - मिथेनोजोनिक वैक्टीरिया

नील-हरित शैवाल(Blue green algae):
↪ इन्हें सायनोबेक्टिरिया कहा जाता है।
↪प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा प्राप्त करता है।
↪ धान के फसल में नाइट्रोजन स्थिरिकरण करके नाट्रोजन की आंशिक पूर्ति करता है।

माइकोप्लाज्मा(Mycoplasma) :
↪ इसे सूक्ष्मविज्ञान का जोकर कहा जाता है।
↪इसमें DNA तथा RNA दोनो होते है।
↪ इसकी खोज नोकार्ड व रोऊक्स ने की तथा नाम एल्बर्ट फ्रेंक ने दिया।


2) प्रोटिस्टा जगत(Protista Kingdom):

इसका वर्णन हैकल ने किया था , ये पहले यूकेरीयोटिक थे। इसमें भी एक कोशिकिय जीव आते है।
➡इनमे कोशिका झिल्ली तथा हरित लवक पाए जाते है।
➡ये लैंगिक तथा अलैंगिक दोनो प्रकार का जनन करते है।
➡ये स्वयपोषी तथा विषमपोषी दोनो प्रकार के होते है।

  इसमें तीन प्रकार के वर्ग होते है-

a) प्रकाश संश्लेषी प्रोटिस्टा : इनमे शैवाल आते है तथा हरित लवक पाया जाता है उदाहरण - युग्लीना (इसे पादप तथा जन्तु के बीच की कड़ी कहा जाता है)।
b) अपघटनी प्रोटिस्टा : इनमे हरित लवक नही पाया जाता है। उदाहरण: स्लाइम मॉलड्स।
c) प्रोटोजोआ प्रोटिस्टा : पेरामिसियम , अमीबा।

3) कवक जगत(Fungi kingdom):

 जिस शाखा के अंतर्गत कवक का अध्ययन किया जाता है उसे  माईकोलॉजी (कवक विज्ञान) कहा जाता है। प्रथम प्रतिजैविक पेनीसिलीन थी जिसे पेनेसिलियम नोटेटम कवक से प्राप्त किया था।
➡ इनकी कोशिका भित्ति सेलुलोज की बनी होती है।
➡इनमे भोजन ग्लाइकोजन या वसा के रूप में एकत्रित होता है।
➡इनमे लैंगिक तथा अलैंगिक दोनो प्रकार के जनन पाए जाते है।
➡ये एक कोशिकिय तथा बहुकोशिकीय हो सकते है।
➡ ये मृतोपजीवी , परजीवी तथा सहोपकरिता तीनो प्रकार के हो सकते है।
 ↪मृतोपजीवी- सड़े गले पदार्थो से पोषण लेते है। उदाहरण - राइजोपस, पेनीसिलीयम।
 ↪परजीवी- दूसरे प्राणियों से पोषण लेते है। उदाहरण - ऑस्टिलेगो , पक्सिनिया।
 ↪सहोपकरिता- परस्पर एक-दूसरे को पोषण देते है। उदाहरण-    लाइकेन (कवक तथा शेवाल की सहजीवी सरंचना)।

4) पादप जगत(Planteae kingdom):

ये सर्वव्यापी , युकेरीयोटिक तथा बहुकोशिकीय होते है।
➡ कोशिका भित्ति सेलुलोज की बनी होती है।
➡ ये स्वयंपोषी होते है , प्रकाश संश्लेषण से भोजन बनाते है।
➡ पादप जगत 5 भागों में बांटा गया है-

 a) थेलोफाइटा : इनमे उत्तक अनुपस्थित होते है जैसे शैवाल।
 ↪जिस शाखा के अंतर्गत शैवालों का अध्ययन किया जाता है उसे फाइकोलॉजी (शैवाल विज्ञान) कहा जाता है।
 ↪ शैवाल में सबसे छोटा गुणसूत्र पाया जाता है तथा भोजन स्टार्च के रूप में एकत्रित रहता है।

b) ब्रायोफाइटा : ये जल तथा स्थल दोनो पर पाए जाते है।
 ↪इनमे संवहन उत्तक नही पाए जाते है।
 ↪ये अपूष्पिय तथा बीज रहित होते है।
 ↪ इनमे भोजन स्टार्च के रूप में संचित रहता है।

c) टेरिडोफाइटा : यह शब्द हैकल ने दिया था , ये नमी वाले स्थानों पर पाए जाते है।
 ↪ ये बीज रहित होते है
 ↪ इनमे संवहन उत्तक पाए जाते है।

d) अनावृतबीजी(Gymnosperms): 
 Gymnosperms = Gymno(नग्न)+ sperms(बीज)
अर्थात बीज के ऊपर कोई आवरण नही पाया जाता है।
 ↪इनकी जड़ो में सहजीवी कवक पाया जाता है जिसे माइकोराइजा कहते है।
 ↪इनमे अण्डाशय का अभाव होता है।
 ↪ इनमे पुष्प नही पाए जाते है।
 ↪ उदाहरण: पाईनस(चीड़) , साईंकस , सागो , पाल्म आदि।

💡 साईंकस सबसे प्राचीन                 
     अनावृतबीजी   पादप है।

💡 जेमिया पिग्मिया सुक्ष्मतम 
      अनावृतबीजी पादप है।

💡 सिकोया सिम्परवीरेंस सबसे लंबा 
      अनावृतबीजी पादप है।

e) आवृतबीजी(Angiosperms) :
Angiosperms=Angio(फूल)+sperm(बीज)
अर्थात बीज के ऊपर आवरण पाया जाता है जो फल के रूप में होता है।
 ↪इनमे अण्डाशय पाई जाती है।
 ↪ इनमे पुष्प पाए जाते है।
 ↪ उदाहरण: आम ,rose , केप्ट्स आदि।

5) जन्तु जगत(Animal kingdom):

ये बहुकोशिकीय , यूकैरियोटिक तथा विषमपोषी होते है।
↪इनमे कोशिका भित्ति अनुपस्थित होती है।
 ↪इन्हें 2 भागो में विभाजित किया गया है-

a) प्रोटजोआ - ये एककोशिकीय  यूकेरियोटिक जीव है उदाहरण- अमीबा , लेशमानिया, प्लाज्मोडियम , युग्लिना आदि।

b) मेटाजोआ - ये बहुकोशिकीय होते है। इन्हें 9 भागो में विभाजित किया गया है।

i) पोरीफेरा : इसका अध्ययन R.E. Graut ने किया था। पोरिफेरा शब्द का अर्थ है छिद्र धारक। इसलिए इस संघ के सदस्यों को स्पंज कहते है। इनमे जल के शोखने की क्षमता होती है।
उदाहरण : साईकन , मयोनिया आदि।

ii) सिलेन्ट्रेटा : इनमे सिलेन्ट्रोन नामक गुहा होती है जिसमे भोजन का पाचन होता है।
उदाहरण : हाइड्रा , जेलीफिश ,फाईसेलिया  आदि।

iii) प्लेटीहेल्मीन्थीज: इनका शरीर त्रिस्तरीय होता है , जिसमे अधूरा पाचन तंत्र पाया जाता है। इनमे उत्सर्जन ज्वाला कोशिकाओं से होता है। देहगुहा अनुपस्थित होती है। 
उदाहरण: फीताकृमि(टीनिया या टेपवॉर्म), प्लेनेरिया आदि।

iv) नीमेटोडा / एस्केल्मीन्थीज : इनका शरीर द्विपक्षीय सममित होता है। ये एकलिंगी होते है तथा लैंगिक जनन पाया जाता है।
उदाहरण : एस्केरिस(दूषित पदार्थों से आंतों में ) , वॉउचेरिया (फाईलेरिया बीमारी)।

v) एनिलिडा: इसके शरीर मे खण्ड पाए जाते है। ये  द्विस्तरीय तथा पूर्ण विकसित पाचन तंत्र वाले होते है।
उदाहरण : अर्थवॉर्म(केंचुआ) , जोक(leech) ।

vi) आर्थोपोडा : यह जन्तु जगत का सबसे बड़ा संघ है।
Arthopoda = Artho(segment/टुकड़े) + Poda (Leg ओर arm)
अर्थात इनके पादो में सन्धि या joint पाए जाते है।
उदाहरण: तितली , झींगा मछली , कॉकरोच , मधुमक्खी, मच्छर आदि।

vii) मोलस्का: यह दूसरा सबसे बड़ा जन्तु जगत है। इनका शरीर मुलायम होता है तथा ये कैल्शियम बाई कार्बोनेट स्रावित करते है।
उदाहरण:  शंख , सीप, घोंघा , ऑक्टोपस आदि।

viii) इकाइनोडर्मेटा: यह समुद्री जीव होता है।
Echinodermata = Echino (spines/काँटे) + Dermata(skin/त्वचा)
अर्थात इनकी त्वचा पर काँटे पाए जाते है।
उदाहरण: तारा मछली(star fish) , एकाईनस (समुद्री ऑर्चिन) आदि।

ix)कॉर्डैटा: यह सबसे विकसित संघ है।इनमे पूर्ण विकसित तथा बन्द प्रकार का  परिवहन तन्त्र होता है।
इसे कुल 13 वर्गो में विभाजित किया गया है इनमे से कुछ मुख्य वर्ग निम्न है-

➡ मत्स्य वर्ग:  
  ↪ये जलीय जीव होते है।
  ↪ये क्लोमो द्वारा स्वसन करते             
है , जो जल में घुलनशील ऑक्सिजन लेते है। 
  ↪इनमे वायु थैली होती है जो जल दाब नियंत्रित करते है।
  ↪ये अनियततापी जन्तु होते है अर्थात ये वातावरण के अनुसार अपने ताप को बदलते हैं।
 ↪उदाहरण: लायन मछली , डॉग मछली , रोहू, समुद्री घोड़ा  आदि।

💡 मछलियों में तैराक ब्लेडर लगे होते          है इसलिए ये पानी मे नही डूबती है।
💡 डॉग फिश को सत्य मछली कहते है।

➡उभयचर वर्ग:
 ↪ये जल तथा थल दोनो जगह निवास करते है।
 ↪इनमे स्वसन जल में तो क्लोमो के द्वारा तथा थल पर त्वचा व फेफड़ों के द्वारा होता है।
 ↪ये असमतापी होते है। इनमे 2 अलिंद व 1 निलय होता है।
 ↪ये जनन प्रक्रिया में अंडो को जन्म देते है।
 ↪उदाहरण: सैलामैंडर , टोड , मेंढक  आदि।

➡सरीसृप वर्ग:
 ↪ये धरातल पर रेंगने वाले जन्तु होते है। लेकिन मगरमच्छ व घड़ियाल अधिकांश जल में रहते है।
 ↪ये अनियततापी होते है।
 ↪स्वसन के लिए फेफड़ो का उपयोग करते है।
 ↪इनमे  त्वचा पर काँटेदार सल्क का आवरण पाया जाता है।
 ↪ इनका ह्रदय तीन कोष्ठीय होता है। लेकिन मगरमच्छ का 4 कोष्ठिय होता है।
 ↪साँप , छिपकली , मगरमछ , कछुए आदि।

➡पक्षी वर्ग:
 ↪इनके अग्रपाद पंख के रूप में परिवर्तित हो जाते है जो उड़ने में सहायता करते है।
 ↪ये फेफड़ो से स्वसन करते है।इनका ह्रदय 4 कोब्ठो में बंटा होता है।
 ↪ये नियततापी जीव है व जनन में अंडे देते है।
 ↪उदाहरण: कबूतर, कौआ , मोर , तोता , चिड़िया , ऑस्ट्रिच , बतख आदि।
💡 सबसे छोटी चिड़िया - हमिंग वर्ड
💡 सबसे छोटी भारतीय चिड़िया - सन वर्ड

➡स्तनधारी:
↪इस वर्ग के जीवों में मादाओंके स्तन ग्रन्थियां पाई जाती है।
 ↪स्वसन फेफड़ो द्वारा करते है।
 ↪एकलिंगी होते है तथा आंतरिक निषेचन पाया जाता है, जिसमे शिशू को जन्म देते है।
 ↪ इनका ह्रदय 4 कोष्ठो में बंटा होता है।
 ↪ये नियततापी होते है।
 ↪उदाहरण: कुत्ता , बिल्ली , मनुष्य ,चूहा आदि।

💡 स्तनधारी में सबसे अधिक रक्त का  
     तापमान       बकरी(39℃) होता है।
💡 सबसे छोटा स्तनधारी -श्रीयु
💡 पंगुइन अंडे देने वाला स्तनधारी है,          जो     अंटार्कटिका में पाया जाता है         

9 comments:

  1. Very helpful sir...keep it up such a great job👌👌🤞

    ReplyDelete
  2. Thank you sir for important details

    ReplyDelete
  3. Thanks sir ji but hamlog av new students hai 11th ka to thoda jaldi samjh nhai aa. Rha thoda or asam tarike se samjhye thnx sir

    ReplyDelete
  4. What is the demarit of five Kingdom system classification

    ReplyDelete
  5. Thank you sir 🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  6. I am your big fan

    ReplyDelete

मैं योगेश प्रजापत आपका तह दिल से शुक्रगुजार हूं कि आपने अपने कीमती समय हमारी वेबसाइट के लिए दिया, कमेंट करके अवश्य बताए कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको केसी लगी...🙏🙏🙏