पदार्थ की गैसीय अवस्था

गैसीय अवस्था के गुणधर्म:

➡ गैसीय अवस्था में पदार्थ के आकार तथा आयतन दोनों ही निश्चित नहीं होते हैं। इन्हें जिस पात्र में रखा जाता है ये उन्हीं का आकार ग्रहण कर लेते हैं।
➡ इस अवस्था में अंतरा आणविक बल बहुत ही दुर्बल होते हैं। जिसके कारण अणुओं के बीच की अंतरा आणविक दूरी बहुत अधिक हो जाती है। इसलिए यह सबसे अधिक समपीड़य होते हैं।
➡ गैसों का घनत्व ठोस तथा द्रव की अपेक्षा  न्यूनतम होता है।

गैसों के नियम:

1. बॉयल का नियम (दाब-आयतन सम्बन्ध): 

इस नियम के अनुसार स्थिर ताप पर
गैस की निश्चित मात्रा का दाब उसके आयतन के व्युत्क्रमानुपाती होता है
      P∝ 1/V
      P=K/V    जहाँ K= स्थिरांक है।
यदि दो भिन्न भिन्न गैसे हो तो उनके स्थिरांक को आपस में बराबर करने पर-
      P₁V₁ =P₂V₂
      P₁/P₂=V₂/V₁    {आयतन= द्रव्यमान/घनत्व}
      P₁/P₂=d₁/d₂
अतः P∝d
अर्थात स्थिर ताप पर गैस के निश्चित द्रव्यमान का दाब , घनत्व के समानुपाती होता है।

2. चार्ल्स का नियम (ताप-आयतन सम्बन्ध):

इस नियम के अनुसार स्थिर दाब पर किसी गैस के निश्चित मात्रा का आयतन उसके परम ताप के समानुपाती होता है। अर्थात जैसे-जैसे ताप बढ़ेगा वैसे-वैसे उसका आयतन भी बढ़ेगा तथा ताप में कमी होने पर आयतन में कमी होगी।
      V∝ T
      V=KT       जहाँ K= स्थिरांक है।
यदि दो भिन्न भिन्न गैसे हो तो उनके स्थिरांक को आपस में बराबर करने पर-
      V₁/T₁=V₂/T₂
परम शून्य ताप वह न्यूनतम काल्पनिक ताप होता है जिस पर किसी गैस का आयतन शून्य होता है।

3. गै-लुसेक का नियम (दाब-ताप सम्बन्ध):

इस नियम के अनुसार इस स्थिर आयतन पर किसी निश्चित मात्रा वाली गैस का दाब उसके परम ताप के समानुपाती होता है।
      P∝ T
      P=KT       जहाँ K= स्थिरांक है।
यदि दो भिन्न भिन्न गैसे हो तो उनके स्थिरांक को आपस में बराबर करने पर-
      P₁/T₁=P₂/T₂

4. आवोगाद्रो नियम (आयतन-मात्रा सम्बन्ध):

इस नियम के अनुसार स्थिर ताप तथा दाब पर समान आयतन वाली गैसों में अणुओं की संख्या समान होती है।
      V∝ n
जहाँ n= मोलो की संख्या है 1 मोल में अणुओ की संख्या 6.023×10²³ होती है जिसे आवोगाद्रो स्थिरांक कहते है।

5. ग्राहम के विसरण का नियम:

इस नियम के अनुसार समान ताप तथा दाब की स्थिति में गैसों के विसरण की दर उनके घनत्व के वर्गमूल के  व्युत्क्रमानुपाती होती है।
       r∝ 1/√d
यदि दो भिन्न-भिन्न कैसे हो तो उनके विसरण की दर का अनुपात निम्न होगा-
       r₁/r₂=√(d₂/d₁)
यदि मोलर द्रव्यमान के रूप में लिखे तो M=2d
       r₁/r₂=√(2M₂/2M₁)
       r₁/r₂=√(M₂/M₁)

6. डॉल्टन के आंशिक दाब का नियम:

इस नियम के अनुसार स्थिर ताप तथा आयतन पर यदि दो या दो से अधिक जो परस्पर अन्योन्य अभिक्रिया नहीं करें, तो गैसों के मिश्रण का कुल दाब प्रत्येक गैस के आंशिक दाब के योग के बराबर होता है।
      PकुलP1+P2+P3- - - + Pn

आदर्श गैस समीकरण या अवस्था समीकरण (Ideal Gas):


ऐसी कैसी जो सभी ताप और दाब पर बॉयल के नियम , चार्ल्स के नियम तथा आवोगाद्रो का नियम का पूर्णतः पालन करती है उन्हें आदर्श गैस कहते हैं यह एक काल्पनिक अवधारणा है जिनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं है।
➡ आदर्श गेसों का ताप गुणांक तथा आयतन गुणांक दोनों एक दूसरे के बराबर होते हैं।
➡ आदर्श गैस के अणुओं के मध्य कोई भी आकर्षण बल नहीं पाया जाता है।
➡ आदर्श गैसों को द्रव या ठोस अवस्था में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
➡ वास्तविक गेसे उच्च ताप तथा निम्न दाब पर आदर्श व्यवहार दर्शाती है।

आदर्श गैस समीकरण (Ideal Gas Equation):

बॉयल के नियम से-          P∝ 1/V
चार्ल्स के नियम से-          V∝ T
आवोगाद्रो नियम से-         V∝ n
 तीनो नियमो को एक साथ मिलाने पर-
         ➡  V∝ n T/P
         ➡  V=R n T/P
         ➡  PV=nRT
इसे ही आदर्श गैस समीकरण कहते हैं यह R एक गैस नियतांक जिसे सार्वत्रिक गैस नियतांक कहते हैं। इसका  मान 8.314 जुल/मोल.केल्विन होता है।

Note: वास्तविक गेसे किसी विशेष ताप और दाब पर ही गैस के नियमों का पालन करती है। जबकि आदर्श गेसे सभी ताप और दाब पर गैसों के नियम का पालन करती है।

गैसों का अणुगति सिद्धान्त:

यह सिद्धांत डी बरनौली ने दिया था।तथा पूर्ण विकसित करने का श्रेय रुडोल्फ क्लाजियस तथा जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने दिया जाता है। इस नियम के अनुसार-
➡  प्रत्येक गैस अत्यंत सूक्ष्म कणों  से मिलकर बनी होती है इन सूक्ष्म कणों को अणु कहते हैं।
➡ एक गैस के अणु समरूप होते हैं लेकिन अन्य गैसों से भिन्न होते हैं।
➡ गैसों के अणुओं का आयतन उनके मध्य पाए जाने वाले रिक्त स्थान की तुलना में बहुत ही कम होता है। अर्थात गैसों का वास्तविक आयतन, गैसों के संपूर्ण आयतन की तुलना में नगण्य होता है।
➡  गैस के अणु सीधी रेखा में गति करते हैं लेकिन दूसरे अंगों से टकराने पर या पात्र की दीवार से टकराने पर इनकी दिशा परिवर्तित हो जाती है।
➡ गैस के अणुओं के मध्य टक्कर पूर्णतय प्रत्यास्थ होती है अर्थात टक्कर के दौरान गतिज ऊर्जा की हानि नहीं होती है। सिर्फ अणुओं के मध्य ऊर्जा का पुन: वितरण हो सकता है।
➡ अणुओं की गति पर सिर्फ टक्कर का प्रभाव अधिक होता है गुरुत्वीय प्रभाव नगण्य होता है।
➡ अणुओ की टक्कर के बाद संवेग में परिवर्तन हो जाता है संवेग में परिवर्तन की दर दीवार पर लगाए गए बल के बराबर होती है।
➡ पात्र की दीवार के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाला बल गैस का दाब कहलाता है।
➡ अणुओं की  औसत गतिज ऊर्जा उसके परम ताप के समानुपाती होती है।
     औसत गतिज ऊर्जा ∝ परमताप

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