गति(motion) : यदि किसी वस्तु की स्थिति में समय के साथ परिवर्तन हो रहा है तो वस्तु गति अवस्था मे कहलाती है।
ये 3 प्रकार की होती है-
1) सरल रेखीय गति : कण सरल रेखा में गतिशिल होगा।
2) वृर्तीय या घूर्णन गति : कण वार्ताकार मार्ग में गतिशिल होगा।
3) दोलनी या कम्पनीक : कण एक निश्चित बिंदु के इधर उधर गतिशिल होगा।
दूरी : किसी गतिशील वस्तु द्वारा तय की गई कुल लंबाई दूरी कहलाती है। यह अदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर होता है।
विस्थापन : वस्तु की गति की प्रारंभिक तथा अंतिम स्थितियों के बीच की न्यूनतम दूरी , विस्थापन कहलाता है। यह सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर होता है।
चाल : किसी वस्तु द्वारा एकांक समय मे तय की गई दूरी को चाल कहते है। यह अदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/सेकंड होता है।
चाल = दूरी/ समय
वेग : किसी वस्तु द्वारा एकांक समय मे तय किया गया विस्थापन , वेग कहलाता है। यह सदिश राशि है । इसका मात्रक मीटर/सेकंड होता है।
वेग = विस्थापन / समय
त्वरण : किसी गतिशिल वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को , त्वरण कहते है। यह सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/ सेकंड^2 होता है।
त्वरण = वेग परिवर्तन /परिवर्तन का समय
गति के समीकरण :
गति के समीकरण त्वरण तथा तय दूरी में सम्बन्ध बताते है। इन्हें गेलिलियो के समीकरण भी कहते है। ये तीन है-
1) v = u + at
2) s = ut + 1/2at^2
3) v^2 = u^2 + 2as
जहाँ u = प्रारम्भिक वेग
v = अंतिम वेग
a = त्वरण
t = समय
s = तय दूरी
यदि वस्तु मुक्त अवस्था मे गिरेगी तो त्वरण का मान गुरुत्विय त्वरण(g) के बराबर हो जाएगा अतः a के स्थान पर g आ जाएगा। तथा दूरी की जगह ऊँचाई का प्रयोग किया जाएगा। अतः मुक्त रूप से गिरते हुए पिंड के लिए गति के समीकरण -
1) v = u + gt
2) h = ut + 1/2gt^2
3) v^2 = u^2 + 2gh
जहाँ u = प्रारम्भिक वेग
v = अंतिम वेग
g = गुरुत्विय त्वरण
t = समय
h = ऊँचाई
प्रक्षेप्य गति : जब किसी वस्तु को नियत वेग से ऊर्ध्वाधर फेका जाता है तो गुरुत्विय त्वरण के अधीन गति होती है , जिससे वस्तु का पथ वक्रीय रूप में हो जाता है। वस्तु अधिकतम उचाई पर जाकर पुनः धरातल पर लौट आती है। इस प्रकार की गति को ही प्रक्षेप्य गति कहते है।
वृतीय गति : जब कोई वस्तु एक समान चाल से वृतीय पथ पर चलती है तो उसे वृतीय गति कहते है।
ये 3 प्रकार की होती है-
1) सरल रेखीय गति : कण सरल रेखा में गतिशिल होगा।
2) वृर्तीय या घूर्णन गति : कण वार्ताकार मार्ग में गतिशिल होगा।
3) दोलनी या कम्पनीक : कण एक निश्चित बिंदु के इधर उधर गतिशिल होगा।
दूरी : किसी गतिशील वस्तु द्वारा तय की गई कुल लंबाई दूरी कहलाती है। यह अदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर होता है।
विस्थापन : वस्तु की गति की प्रारंभिक तथा अंतिम स्थितियों के बीच की न्यूनतम दूरी , विस्थापन कहलाता है। यह सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर होता है।
चाल : किसी वस्तु द्वारा एकांक समय मे तय की गई दूरी को चाल कहते है। यह अदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/सेकंड होता है।
चाल = दूरी/ समय
वेग : किसी वस्तु द्वारा एकांक समय मे तय किया गया विस्थापन , वेग कहलाता है। यह सदिश राशि है । इसका मात्रक मीटर/सेकंड होता है।
वेग = विस्थापन / समय
त्वरण : किसी गतिशिल वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को , त्वरण कहते है। यह सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/ सेकंड^2 होता है।
त्वरण = वेग परिवर्तन /परिवर्तन का समय
गति के समीकरण :
गति के समीकरण त्वरण तथा तय दूरी में सम्बन्ध बताते है। इन्हें गेलिलियो के समीकरण भी कहते है। ये तीन है-
1) v = u + at
2) s = ut + 1/2at^2
3) v^2 = u^2 + 2as
जहाँ u = प्रारम्भिक वेग
v = अंतिम वेग
a = त्वरण
t = समय
s = तय दूरी
यदि वस्तु मुक्त अवस्था मे गिरेगी तो त्वरण का मान गुरुत्विय त्वरण(g) के बराबर हो जाएगा अतः a के स्थान पर g आ जाएगा। तथा दूरी की जगह ऊँचाई का प्रयोग किया जाएगा। अतः मुक्त रूप से गिरते हुए पिंड के लिए गति के समीकरण -
1) v = u + gt
2) h = ut + 1/2gt^2
3) v^2 = u^2 + 2gh
जहाँ u = प्रारम्भिक वेग
v = अंतिम वेग
g = गुरुत्विय त्वरण
t = समय
h = ऊँचाई
प्रक्षेप्य गति : जब किसी वस्तु को नियत वेग से ऊर्ध्वाधर फेका जाता है तो गुरुत्विय त्वरण के अधीन गति होती है , जिससे वस्तु का पथ वक्रीय रूप में हो जाता है। वस्तु अधिकतम उचाई पर जाकर पुनः धरातल पर लौट आती है। इस प्रकार की गति को ही प्रक्षेप्य गति कहते है।
वृतीय गति : जब कोई वस्तु एक समान चाल से वृतीय पथ पर चलती है तो उसे वृतीय गति कहते है।
1 comment:
मैं योगेश प्रजापत आपका तह दिल से शुक्रगुजार हूं कि आपने अपने कीमती समय हमारी वेबसाइट के लिए दिया, कमेंट करके अवश्य बताए कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको केसी लगी...🙏🙏🙏