द्रव्य तथा इसकी अवस्थाएँ

द्रव्य(Matter):

वह वस्तु जिसका द्रव्यमान हो, आयतन हो तथा उसके गुणधर्मो में किये गए परिवर्तन का विरोध करती हो, उसे द्रव्य या पदार्थ कहते है।

द्रव्य के गुणधर्म:

➡ यह अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है।

➡ इन कणों के मध्य रिक्त स्थान होता है जिसे अंतराण्विक स्थान कहते है।

➡ इन कणों के बीच की दूरी को अंतराण्विक दूरी कहते है।
➡ ये कण अंतराण्विक आकर्षक बल द्वारा आपस मे जुड़े होते है।
➡ अंतराण्विक दूरी जितनी अधिक होगी, अंतराण्विक आकर्षण बल उतना ही कम होगा।
➡ ये कण लगातार गति करते रहते है, अर्थात कणों में गतिज ऊर्जा पायी जाती है।
➡तापमान बढ़ने पर इन कणों की गतिज ऊर्जा में भी वृद्वि होती है।

द्रव्य के कण:

द्रव्य में 2 प्रकार के कण पाए जाते है-

(1) परमाणु (Atom): 

परमाणु शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द Atomos से हुई है जिसका अर्थ होता है, अविभाज्य।
किसी भी द्रव्य का वह छोटे से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था मे नही पाया जाता है तथा रासायनिक अभिक्रियाओ में भाग लेता है उसे परमाणु कहते है।
किसी भी रासायनिक अभिक्रियाओ में परमाणु ही भाग लेता है अतः परमाणु ही द्रव्य के रासायनिक गुणों को प्रदर्शित करता है।

(2) अणु (Molecules): 

द्रव्य का वह छोटे से छोटा कण जो स्वतंत्र अवस्था मे पाया जाता है तथा रासायनिक अभिक्रियो में भाग नही लेते है, उसे अणु कहते है।
अणु दो या दो से अधिक परमाणुओं से मिलकर बना होता है, ये परमाणु समान भी हो सकते है जैसे O2, N2, H2 आदि तथा कुछ अणु अलग अलग परमाणुओं से मिलकर बने होते है जैसे H2O, NH3, NaCl आदि।

द्रव्य की अवस्थाएँ:

द्रव्य की 5 अवस्थाएँ होती है-

(1) ठोस अवस्था (Solid State): 

इस अवस्था मे अंतराण्विक दूरी न्यूनतम होती है जिससे अंतराण्विक बल अधिकतम हो जाता है।
ठोसों को 2 भागो में बाँटा गया है-

(a) क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline Solid): 

जब ठोसों के अवयवी कण एक निश्चित व्यवस्था में होते है तो उन्हें क्रिस्टलीय ठोस कहते है।
उदाहरण- NaCl, क्वार्टस, हीरा, ग्रेफाइट आदि।

(b) अक्रिस्टलीय ठोस (Amorphous Solid):

जब ठोसों के अवयवी कण एक निश्चित व्यवस्था में नही होते है तो उन्हें अक्रिस्टलीय ठोस कहते है। इन्हें आभासी ठोस या अतिशीतित द्रव भी कहते है।
उदाहरण- काँच, रबर, प्लास्टिक आदि।

(2) द्रव अवस्था (Liquid State): 

इस अवस्था मे अंतराण्विक दूरी ठोसों से अधिक तथा गैसों से कम होती है जिससे अंतराण्विक बल ठोसों कम तथा गैसों से अधिक होता है।

(3) गैसीय अवस्था (Gaseous State): 

इस अवस्था मे अंतराण्विक दूरी अधिकतम होती है जिससे अंतराण्विक बल न्यूनतम हो जाता है।

तीनो अवस्थाओं के गुणधर्मो की तुलना:

(a) गलनांक : ठोस > द्रव > गैस
(b) कठोरता : ठोस > द्रव > गैस
(c) सम्पीड्यता : ठोस < द्रव < गैस
(d) घनत्व : ठोस > द्रव > गैस

(4) प्लाज्मा अवस्था (Plasma State): 

आंशिक आयनीकृत गैस को प्लाज्मा कहते है। जैसे फ्लोरोसेंट ट्यूबलाइट में विधुत धारा प्रवाहित करने पर वो आयनीकृत हो जाती है जिससे प्लाज्मा का निर्माण होता है।

(5) बोस आंइस्टीन कण्डनसेट (BEC): 

सामान्य वायु के घनत्व के एक लाखवें घनत्व वाली गैस को बहुत ही कम ताप पर ठंडा करने पर बोस आंइस्टीन कण्डनसेट अवस्था का निर्माण होता है।
इस अवस्था का नाम सत्येन्द्र नाथ बोस तथा अल्बर्ट आइंस्टीन के नाम पर रखा गया है।

द्रव्य से सम्बंधित महत्वपूर्ण परिभाषा:


(1) तत्व (Element): 

एक ही प्रकार के परमाणुओं से मिलकर बने पदार्थ को तत्व कहते है।
उदाहरण- Al, Fe, Au, Ag, H, O आदि।

(2) यौगिक (Compound): 

दो या दो से अधिक तत्वों के निश्चित अनुपात में रासायनिक अभिक्रिया से बने पदार्थ को यौगिक कहते है।
उदाहरण- H2O, CH4, NaCl, NaOH आदि।

(3) मिश्रण (Mixture): 

दो या दो से अधिक पदार्थो को किसी भी अनुपात में मिलाने से बने पदार्थ को मिश्रण कहते है।
उदाहरण- वायु, मृदा, समुद्री जल, बारूद आदि।

(4) परमाणु द्रव्यमान (Atomic Mass):

कॉर्बन-12 के एक परमाणु के द्रव्यमान के 12वे भाग को परमाणु द्रव्यमान कहते है। इसे amu या u में दर्शाया जाता है।
1 amu = 1.66056 × 10^-24 ग्राम
(5) मोल संकल्पना (Mole Concept): 
पदार्थ की वह मात्रा जिसमे अणु, परमाणु या आयनों की संख्या कॉर्बन-12 के 12 ग्राम में विधमान परमाणुओं के बराबर होती है।
1 मोल में अणु, परमाणु या आयनों की संख्या का मान 6.0223×10^23  होता है, जिसे आवोगाद्रो संख्या कहते है।
सामान्य ताप व दाब पर 1 मोल का आयतन 22.4 लीटर होता है।

No comments:

Post a Comment

मैं योगेश प्रजापत आपका तह दिल से शुक्रगुजार हूं कि आपने अपने कीमती समय हमारी वेबसाइट के लिए दिया, कमेंट करके अवश्य बताए कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको केसी लगी...🙏🙏🙏