NEET UG, JEE Main Chemistry questions: Online Multiple Choice Questions (MCQs) with answers for NEET and JEE Main aspirants, Chemistry Practice questions, MCQs, Past Year Questions (PYQs), NCERT Questions, Question Bank, Class 11 and Class 12 Questions, NCERT Exemplar Questions ...
ऐल्डॉल संघनन-
यह अभिक्रिया उन एल्डिहाइड अथवा कीटोन द्वारा दी जाती है जिनमें अल्फा हाइड्रोजन होते हैं । ऐसे एल्डिहाइड अथवा कीटोन के दो अणु तनु क्षार dilute NaOH की उपस्थिति में संघनित होकर बीटा- हाइड्रोक्सी एल्डिहाइड अथवा कीटोन बनाते हैं जिसे ऐल्डॉल भी कहते हैं । Example 1– एसीटैल्डिहाइड में ऐल्डॉल संघनन होने पर 3- हाइड्रोक्सी ब्यूटेनल बनता है ।
क्रॉस ऐल्डॉल संघनन– जब दो भिन्न एल्डिहाइड अथवा कीटोन के अणुओं के मध्य ऐल्डॉल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डॉल संघनन कहते हैं । Example-2 एसीटैल्डिहाइड तथा फॉर्मेल्डिहाइड के मध्य ऐल्डॉल संघनन ।
बेयर विलिजर ऑक्सीकरण अभिक्रिया –
जब कीटोन, परॉक्सी अम्ल जैसे C6H5COOOH के साथ अभिक्रिया करते हैं तो एस्टर बनाते हैं इस अभिक्रिया में परॉक्सी अम्ल से ऑक्सीजन, कार्बोनिल कार्बन तथा उससे जुड़े कार्बन के मध्य लग जाती है । इस अभिक्रिया को बेयर विलिजर ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं ।
बेन्जोइन संघनन –
एरोमैटिक एल्डिहाइड जैसे बेन्जेल्डिहाइड के दो अणु जब एथेनॉल युक्त पोटैसियम साइनाइड KCN के साथ गर्म किये जाते हैं तो संघनित होकर बेन्जोइन बनाते हैं ।इस अभिक्रिया को बेन्जोइन संघनन अभिक्रिया कहते हैं ।
बूवो ब्लांक अभिक्रिया –
एस्टर की अभिक्रिया सोडियम तथा एथेनॉल से होने पर वो अपचयित होकर प्राथमिक एल्कोहल बनाता है ।इस अभिक्रिया को बूवो ब्लांक अभिक्रिया कहते हैं ।
बाल्ज शिमान अभिक्रिया-
बेंजीन डाइएज़ो क्लोराइड को फ्लोरो बोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया कराने पर बेंजीन डाइऐजोनियम फ्लोरो बोरेट बनता है जो गर्म करने पर फ्लोरो बेंजीन देता है ।इस अभिक्रिया को बाल्ज शिमान अभिक्रिया कहते हैं ।
कैनिजारो अभिक्रिया-
वे एल्डिहाइड जिनमे अल्फा हाइड्रोजन नहीं होते उनकी अभिक्रिया सान्द्र क्षार विलयन ( Conc. NaOH) में कराने पर उनके आधे अणु ऑक्सीकृत तथा आधे अणु अपचयित हो जाते हैं जिससे उत्पाद में एल्कोहल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण प्राप्त होता है । इस अभिक्रिया को कैनिजारो अभिक्रिया कहते हैं ।
कार्बिल एमीन अभिक्रिया –
जब एक प्राथमिक एमीन चाहे वह एलीफैटिक हो या एरोमैटिक को क्लोरोफॉर्म CHCl3 तथा एल्कोहल युक्त पोटैसियम हाइड्रोक्साइड KOH के साथ गर्म किया जाता है तो आइसोसाइनाइड (-NC) या कार्बिल एमीन बनता है जो अति दुर्गन्ध युक्त यौगिक होता है ।इस अभिक्रिया को प्राथमिक एमीन की पहचान के लिए प्रयुक्त किया जाता है ।
क्लेजन संघनन-
अल्फा हाइड्रोजन युक्त एस्टर के दो अणु जब प्रबल क्षार की उपस्थिति में स्व संघनन करते है तो बीटा कीटोन एस्टर बनता है। इस अभिक्रिया को क्लेजन संघनन कहते हैं ।
क्लीमेंसन अपचयन अभिक्रिया-
जब एल्डिहाइड तथा कीटोन का अपचयन Zn/Hg तथा सान्द्र HCl द्वारा किया जाता है तो हाइड्रो कार्बन बनता है।इस अभिक्रिया को क्लीमेंसन अपचयन अभिक्रिया कहते हैं ।
युग्मन अभिक्रिया-
बेंजीन डाई एजोनियम क्लोराइड की अभिक्रिया फिनोल अथवा एरोमैटिक एमीन से होने पर एजोयौगिक बनते हैं।
ये अभिक्रिया ठन्डे विलयन में कराई जाती है।इस अभिक्रिया को युग्मन अभिक्रिया कहते हैं ।
डाई एजोटीकरण अभिक्रिया-
ऐनिलीन की अभिक्रिया 0-4 degree सेल्सियस ताप पर नाइट्रस अम्ल से होने पर बेंजीन डाई एजोनियम क्लोराइड लवण बनता
है। इस अभिक्रिया को डाई एजोटीकरण अभिक्रिया कहते हैं ।
इटार्ड अभिक्रिया-
टॉलुइन का ऑक्सीकरण क्रोमिल क्लोराइड से की उपस्थिति में कराने पर बेन्जेल्डिहाइड बनता है। इस अभिक्रिया को इटार्ड अभिक्रिया कहते हैं ।
ऐस्टरीकरण अभिक्रिया-
एल्कोहल की अभिक्रिया कार्बोक्सिलिक अम्ल से सांद्र की कुछ बूंदो के साह होने पर एस्टर बनता है।इस अभिक्रिया को ऐस्टरीकरण अभिक्रिया कहते हैं ।
फिटिंग अभिक्रिया-
जब हेलो एरीन के दो अणु धातु सोडियम के साथ अभिक्रिया करके डाई फेनिल बनाते है। इस अभिक्रिया को फिटिंग अभिक्रिया कहते हैं ।
फ्रीडल क्राफ्ट एल्किलीकरण-
बेंजीन अथवा अन्य एरोमैटिक यौगिक जब एल्किल हैलाइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में अभिक्रिया करते हैं तो एल्किल बेंजीन प्राप्त होता है । इस अभिक्रिया को फ्रीडल क्राफ्ट एल्किलीकरण कहते हैं ।
फ्रीडल क्राफ्ट एसिलीकरण –
बेंजीन अथवा अन्य एरोमैटिक यौगिक जब एसिल हैलाइड के साथ निर्जल AlCl3 की उपस्थिति में अभिक्रिया करते हैं तो एरोमैटिक कीटोन प्राप्त होता है । इस अभिक्रिया को फ्रीडल क्राफ्ट एसिलीकरण कहते हैं ।
फ्राइस पुनर्विन्यास अभिक्रिया –
एरिल एस्टर की अभिक्रिया जब के साथ होती है तो एरिल एस्टर में पुनर्विन्यास होता है और ऑर्थो अथवा पैरा हाइड्रोक्सी कीटोन या दोनों का मिश्रण प्राप्त होता है । इस अभिक्रिया को फ्राइस पुनर्विन्यास अभिक्रिया कहते हैं ।
गैब्रिल थैलीमाइड संश्लेषण अभिक्रिया –
यह अभिक्रिया प्राथमिक एमीन बनाने के लिए प्रयोग की जाती है इस अभिक्रिया में थैलीमाइड की अभिक्रिया पहले पोटैशियम हाइड्रोक्साइड से फिर उसके बाद एल्किल हैलाइड से कराई जाती है उसके बाद प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने पर प्राथमिक एमीन बनती है इस अभिक्रिया द्वारा केवल एलिफेटिक प्राथमिक एमीन बना सकते है इस अभिक्रिया द्वारा ऐनिलीन नहीं बनाई जा सकती।
गाटरमैन अभिक्रिया –
बेंजीन डाई एजोनियम क्लोराइड की अभिक्रिया कॉपर तथा हाइड्रोक्लोराइड के साथ होने पर क्लोरो बेंजीन प्राप्त होता है अथवा कॉपर तथा हाइड्रोजन ब्रोमाइड के साथ ब्रोमोबेंजीन प्राप्त होता है इस अभिक्रिया को गाटरमैन अभिक्रिया कहते हैं । इस अभिक्रिया द्वारा क्लोरो बेंजीन अथवा ब्रोमोबेंजीन बना सकते हैं यह अभिक्रिया सैंडमेयर अभिक्रिया को संसोधित करके बनायी गयी है ।
गाटरमैन कोच अभिक्रिया –
बेंजीन की अभिक्रिया जब कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोक्लोराइड अम्ल के साथ निर्जल एलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में होती है तो बेन्जेल्डिहाइड बनता है । इस अभिक्रिया को गाटरमैन कोच अभिक्रिया कहते हैं।
हैलोफॉर्म अभिक्रिया –
उन कार्बनिक यौगिकों में जिनमें मेथिल कीटोन समूह होता है या जो समूह ऑक्सीकृत होकर मेथिल कीटोन समूह बना सकते है उन यौगिकों की अभिक्रिया जब आयोडीन तथा पोटैशियम हाइड्रोक्साइड या सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ होती है तो आयोडोफार्म बनता है । अभिक्रिया को आयोडोफार्म अभिक्रिया या हैलोफॉर्म अभिक्रिया कहते हैं।
हेल वोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया –
जब कार्बोक्सिलिक अम्ल की अभिक्रिया क्लोरीन अथवा ब्रोमीन से लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में होती है तो कार्बोक्सिलिक अम्ल का अल्फा हाइड्रोजन हैलोजन द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है जिससे अल्फा हैलो कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होता है ।इस अभिक्रिया को हेल वोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
हॉफमैन ब्रोमामाइड अभिक्रिया –
एसिड एमाइड की अभिक्रिया जब ब्रोमीन तथा पोटैशियम हाइड्रोक्साइड से कराई जाती है तो प्राथमिक अमीन प्राप्त होता है इस अभिक्रिया में एसिड एमाइड की अपेक्षा प्राथमिक एमीन में एक कार्बन कम होता है । यह अभिक्रिया किसी अधिक कार्बन श्रंखला वाले योगिक को कम कार्बन संख्या वाले योगिक में कन्वर्ट करने के लिए प्रयुक्त की जाती है । इस अभिक्रिया को हॉफमैन ब्रोमामाइड अभिक्रिया कहते हैं ।
हॉफमैन मस्टर्ड आयल अभिक्रिया –
जब प्राथमिक एमीन तथा कार्बन डाईसल्फाइड और मरक्यूरिक क्लोराइड के मिश्रण को गर्म किया जाता है तो एल्किल आइसो थायोसाइनेट बनता है जिसमें सरसों के तेल जैसी विशिष्ट गंध होती है इसलिए इस अभिक्रिया को हॉफमैन मस्टर्ड आयल अभिक्रिया कहते हैं।
हुन्सडीकर अभिक्रिया –
जब किसी कारबोक्सिलिक अम्ल के लवण को ब्रोमीन के साथ कार्बन टेट्राक्लोराइड की उपस्थिति में गर्म किया जाता है तो एल्किल हैलाइड प्राप्त होता है।अभिक्रिया को इस अभिक्रिया को हुन्सडीकर अभिक्रिया कहते हैं।
हाइड्रोबोरेशन ऑक्सीकरण अभिक्रिया –
जब किसी एल्कीन की अभिक्रिया डाईबोरेन B2H6 या (BH3)2से कराई जाती है और उसके पश्चात से ऑक्सीकरण किया जाता है तो उत्पाद में एल्कोहल प्राप्त होता है । इस अभिक्रिया में प्राप्त उत्पाद मार्कोनीकॉफ नियम से प्राप्त योगात्मक उत्पाद से विपरीत होता है ।
कोल्बे विद्युत् अपघटनी विधि-
जलीय घोल में कार्बोक्जिलिक एसिड के सोडियम या पोटेशियम लवण का इलेक्ट्रोलिसिस करने पर एनोड पर एल्केन बनता है।इस अभिक्रिया को कोल्बे विद्युत् अपघटनी विधि कहते हैं ।
कोल्बे श्मिट अभिक्रिया
सोडियम फिनॉक्साइड, CO के साथ 400K ताप और (6-7 atm)दाब पर सोडियम सैलिसिलेट देता हैं जिसका HCl के साथ अम्लीकरण करने पर सैलिसिलिक प्राप्त होता है।इस अभिक्रिया को कोल्बे श्मिट अभिक्रिया कहते हैं ।
नोवेनेगल अभिक्रिया
एल्डिहाइड, कार्बनिक क्षारको की उपस्थिति में सक्रिय मेथिलीन समूह (-CH2-)वाले यौगिकों के साथ अभिक्रिया करते हैं और अल्फा बीटा असंतृप्त अम्ल बनाते हैं । इस अभिक्रिया को नोवेनेगल अभिक्रिया कहते हैं ।
लिबरमैन नाइट्रोसो अभिक्रिया-
स्निग्ध और सुगन्धित द्वितीयक ऐमीन दोनों नाइट्रस अम्ल (NaNO2+ dil HCl) से क्रिया करके नाइट्रोसोएमीन देते हैं।जो आमतौर पर पीले तैलीय यौगिक होते हैं और खनिज अम्ल में अघुलनशील होते हैं।इस अभिक्रिया को लिबरमैन नाइट्रोसो अभिक्रिया कहते हैं ।
लेडरर-मनासे अभिक्रिया-
फिनोल o- और p- स्थितियों में स्निग्ध या सुगंधित एल्डिहाइड के साथ संघनित होता है। उदाहरण के लिए, फिनोल, p-हाइड्रॉक्सी बेंजिल एलकोहल बनाने के लिए कम तापमान पर फॉर्मेलिन (40% जलीय फोर्मेल्डिहाइड) के साथ संघनन से गुजरता है । इस अभिक्रिया को लेडरर-मनासे अभिक्रिया कहते हैं ।
मेंडियस अभिक्रिया
ऐल्किल या ऐरिल साइनाइड, सोडियम अमलगम(Na-Hg) और एल्कोहल द्वारा उत्पादित नवजात हाइड्रोजन की क्रिया द्वारा प्राथमिक अमीन में अपचित हो जाता है। इस अभिक्रिया को मेंडियस अभिक्रिया कहते हैं।
ऑक्सीमरक्यूरेशन डिमर्क्यूरेशन अभिक्रिया
एल्कीन , मर्क्यूरिक एसीटेट Hg(CH3COO)2 के साथ अभिक्रिया करके (हाइड्रॉक्सीऐल्किल) मर्करी यौगिक देता है, जिसमें एल्कीन के द्विक बन्ध में -OH और -HgCH3COO का योग होता है है। इसे ऑक्सीमरक्यूरेशन कहते हैं। फिर NaBH4, -HgCH3COO को अपचयित करता है और हाइड्रोजन से प्रतिस्थापित करता है। यह डिमर्क्यूरेशन है। इस अभिक्रिया का उत्पाद एक एल्कोहल हैं जो एल्कीन में जल के मार्कोनिकोफ़ योग के समान होता हैं इस अभिक्रिया को ऑक्सीमरक्यूरेशन डिमर्क्यूरेशन अभिक्रिया कहते हैं ।
सबेटियर सेंडर्न अभिक्रिया
473-573 K . पर उत्प्रेरक के रूप में रैने निकिल की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन हाइड्रोजन के साथ संतृप्त हाइड्रोकार्बन में अपचयित हो जाते हैं । इस अभिक्रिया को सबेटियर सेंडर्न अभिक्रिया कहते हैं ।
शोटेन बाउमन अभिक्रिया
फिनॉल अथवा प्राथमिक या द्वितीयक एमीन की अभिक्रिया बेंज़ोइल क्लोराइड के साथ कराने पर बेज़ोइलीकरण होता है अर्थात फिनॉल से या एमीन से बेंज़ोइल समूह जुड़ जाता है तथा HCl का अणु बाहर निकलता है । इस अभिक्रिया को शोटेन बाउमन अभिक्रिया कहते हैं ।
वुल्फ-किशनर अभिक्रिया
एल्डिहाइड या कीटोन को हाइड्राजीन (NH2-NH2)और KOH के मिश्रण के साथ एथिलीन ग्लाइकोल की उपस्थिति में गर्म करने पर एल्केन प्राप्त होता हैं । इस अभिक्रिया को वुल्फ-किशनर अभिक्रिया कहते हैं ।
Wolff Kishner reaction
No comments:
Post a Comment
मैं योगेश प्रजापत आपका तह दिल से शुक्रगुजार हूं कि आपने अपने कीमती समय हमारी वेबसाइट के लिए दिया, कमेंट करके अवश्य बताए कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपको केसी लगी...🙏🙏🙏